कविता ,मुक्तक ,लघु कथा, ,लिखता हूँ ,साहित्य सेवा ही जीवन का लक्ष्य है
पल पल सिमटती क्यूँ होली की रीत है होली की वेदना में आज होली के गीत है पल पल सिमटती क्यूँ होली की रीत है होली की वेदना में आज होली के गीत है
होली आई होली आई गाँव गली में खुशियां छाई, होली आई होली आई गाँव गली में खुशियां छाई,
इसके जीवन को बचाओ नहीं प्यास की तीर सहो भाई। इसके जीवन को बचाओ नहीं प्यास की तीर सहो भाई।
छू जाना तुम आसमान को बिना कभी भी हिम्मत हारे। छू जाना तुम आसमान को बिना कभी भी हिम्मत हारे।
बंधन कोसों दूर था मेरी परछाईं से बंधन कोसों दूर था मेरी परछाईं से
ना बन मूर्ख जरा अपनी आँखों को खोल जैसा करनी तेरी वैसे धूमिल तेरा भेष है। ना बन मूर्ख जरा अपनी आँखों को खोल जैसा करनी तेरी वैसे धूमिल तेरा भेष है।
एक दिन जरूर दिखाता है सब को असली रूप। एक दिन जरूर दिखाता है सब को असली रूप।
जब भी अपने होठों को बंद कर चुप हो जाते हो जब भी अपने होठों को बंद कर चुप हो जाते हो
वक्त मिले गर ज़माने की शोहरत कमाने से दरवाज़े की दहलीज भी कुछ दर्द बयाँ करते हैं।। वक्त मिले गर ज़माने की शोहरत कमाने से दरवाज़े की दहलीज भी कुछ दर्द बयाँ करते ...
समय के आगे भला किसी का कहाँ चल पाता है। समय के आगे भला किसी का कहाँ चल पाता है।