कविता ,मुक्तक ,लघु कथा, ,लिखता हूँ ,साहित्य सेवा ही जीवन का लक्ष्य है
अब मीना अपने सपनो से निकलकर हकीकत की जिंदगी जीने लगी थी। अब मीना अपने सपनो से निकलकर हकीकत की जिंदगी जीने लगी थी।
अब तक मीना दो बेटियो की माँ बन चुकी थी, जिसकी वजह से मीना की अब तक मीना दो बेटियो की माँ बन चुकी थी, जिसकी वजह से मीना की
एक एक जरूरी कागज ढूंढ़ते ही छबि के हाथों बहुत से गिप्ट, फोटो, कैसेट, आदि लग जाता है एक एक जरूरी कागज ढूंढ़ते ही छबि के हाथों बहुत से गिप्ट, फोटो, कैसेट, आदि लग जाता...
बरामदे में दूर तक अपने दोनों हाथों में किताब को दबाये। बरामदे में दूर तक अपने दोनों हाथों में किताब को दबाये।
कहने लगे मैं अपने बेटे के लिए इतनी बिरासत बनाई ,एक एक कौड़ी बचाकर उसके भविष्य को बनाया थ कहने लगे मैं अपने बेटे के लिए इतनी बिरासत बनाई ,एक एक कौड़ी बचाकर उसके भविष्य को ...
बेटा मुझे माफ़ कर दे ।बेवजह उस दिन मैंने ही राधा को मारने के लिए तुझे बहकाया था।देवी जैस बेटा मुझे माफ़ कर दे ।बेवजह उस दिन मैंने ही राधा को मारने के लिए तुझे बहकाया था।द...