बोलती है जब क़लम
बोलती है जब क़लम
आत्मा के सौंदर्य का शुद्ध रूप है काव्य।
मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य।
जो भावनाएं साधारण मानव नहीं कह पाता।
उनको कवि अपने सुंदर शब्दों से कह जाता।
खुल जाते हैं बहुत सारे रहस्य और कई राज़।
बोलती है जब क़लम, छिड़ जाते हैं कई साज़।
विरह में डूबी सजनी की, जब बोलती है क़लम।
लिख दे अपनी पीड़ा, जिसे पढ़कर जाने सनम।
एक कवि अपनी क़लम से रच देता है कविताएं।
जो कहे कभी सच्ची बात, कभी बयाँ करें अदाएं।
सैनिक अपने परिवार को लिखता अपनी सलामती।
उसे पढ़कर पिता तसल्ली पाता, माता दुआ माँगती।
