Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shruti Bawankar

Tragedy

4  

Shruti Bawankar

Tragedy

बलात्कार

बलात्कार

2 mins
534


माँ बाबूजी का नाज़ थी मैं

आत्मविश्वास से भरी आग थी मैं

मैं जिंदादिली से भरी, दोस्तों से घिरी

मेरे अपनों के लिये मैं थी परी


कई सारे सपने मैंने पूरे थे किये

और बचे हुए पूरे करने जा रही थी मैं

काम में इस कदर खो गई थी की

कमबख्त वक्त का ध्यान ही ना रहा


अचानक ऐसा कहर आया

जिसने मेरी आत्मा को हिलाया

आज भी वो रात याद करके रोती हूँ

दिल में कई सारे सवाल ले के सोती हूँ


क्या कसूर था मेरा?

क्यों हुआ ये सब?

जहन में हर वक्त सवाल उठते है

पर अब तक ना ढूँढ पाई इनके जवाब


घना अँधेरा था छाया

कोई साथ ना मैंने पाया

उन सुनसान राहों से गुजर रही थी

अपने धड़कते दिल को काबू कर रही थी


की अचानक ...........

इनसान की खाल में छुपे

भेड़ियों ने रोका रास्ता

बिनती कर मैंने दिया उन्हें

भगवान का वास्ता


चिल्लाई, गिड़गिड़ाई

कुछ असर ना उनपर हुआ

उन नापाक हाथों ने

मेरे शरीर को जब छुआ


नहीं माने वे दरिंदे,

घायल हुए मेरे सपनों के परिंदे

मेरा रोम रोम कांप उठा

हैवानों ने मेरा जिस्म लुटा


दर्द से तड़पती मुझे

बेआबरु कर छोड़ गए

बेहोश पड़ी रही लाश बन घंटों

मेरे सारे सपने सो गए


आँख खुली तब खुद को

लोगों से घिरा हुआ पाया

घर में मेरे अजीब सा

था मातम छाया


मेरा बस जिस्म नहीं

मेरी रूह लूटी थी

मेरी बस इज्जत नहीं

सपनों की नाव डुबी थी


खुद को मैंने बड़ा ही बेबस पाया

अब एक पल भी जीना ना था गवारा

सोचा उठ के अब खुदकुशी कर लूँ

इस नापाक शरीर के बोझ को अलविदा कर लूँ


फिर सोचा..................


इज्जत उन दरिंदों ने लूटी है मैंने नहीं

पाप उन हैवानों ने किया है मैंने नहीं

फिर क्यों मैं खुद को कोस रही हूँ

अंदर ही अंदर घूँट रही हूँ


डरना उन जालिमों को चाहिये

मुझे नहीं

रोना उन गुनहगारों को चाहिये

मुझे नहीं


क्योंकि....................


मेरा तो सिर्फ जिस्म लुटा है

उनकी पूरी जिंदगी लूटेगी

मेरे सपनों का आशियां टूटा है

उनका तो सारा खानदान टूटेगा


मेरी पहचान जिस्म के

बस उस हिस्से से नहीं

मेरा सम्मान बस मेरे

शरीर तक सीमित नहीं


फिर से अरमानों की डोली सजाऊंगी

मेरा टूटा आशियां हिम्मत से बनाऊंगी

अब गली गली में बेआबरू होगा हर लुटेरा

उनका भविष्य बन जाएगा घना अँधेरा



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy