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Shruti Bawankar

Inspirational

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Shruti Bawankar

Inspirational

पतझड़

पतझड़

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पतझड़ का मौसम आना लाज़मी है

शाखाओं से पत्ते का बिछड़ना लाज़मी है

बरसात का रुख मोड़ लेना लाज़मी है

कभी कभी गम के बादल छा जाना लाज़मी है


हसरतों का पूरा हो ना पाना लाज़मी है

अपनों ने दामन झटकना लाज़मी है

नसिब का रूसवा होना लाज़मी है

कभी कभी धोखा खाना लाज़मी है


जिंदगी में हमेशा जीत पाना मुमकिन नहीं

हर किसी के दिल में बस जाना मुमकिन नहीं

सब को खुश रख पाना मुमकिन नहीं

हर रिश्ता आसानी से निभा जाना मुमकिन नहीं


हर ख्वाहिश को मंजिल मिलना मुमकिन नहीं

हर राह का सीधा होना मुमकिन नहीं

हर गम कि दवा मिलना मुमकिन नहीं

हर ज़बान मीठे अल्फाज़ बोलना मुमकिन नहीं


यह जिंदगी है

कभी खट्टी तो कभी मीठी


इस रंगबीरंगी जिंदगी का लुफ्त उठाए

माना कभी अन्धेरा है पर उसके बाद सबेरा है


हर डगर इम्तहान लेगी

हर ठोकर ज़ख्म देगी

हर तमस मंजिल धुंधलाएगा

हर नाकामयाबी हौसला तोड़ेगी


पर तुम्हारी कोशिश तुम्हारी ढाल बनेगी

तुम्हारी जिद तुम्हारी तलवार बनेगी

तुम्हारा हौसला तुम्हारा ताज़ बनेगा

तुम्हारा निश्चय तुम्हें तख्त दिलाएगा



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