हर कोई खुदपरस्ती में मशगूल है, गैरों को खुद से कमतर समझते यहां हर कोई खुदपरस्ती में मशगूल है, गैरों को खुद से कमतर समझते यहां
हर ख्वाहिश को मंजिल मिलना मुमकिन नहीं हर राह का सीधा होना मुमकिन नहीं हर ख्वाहिश को मंजिल मिलना मुमकिन नहीं हर राह का सीधा होना मुमकिन नहीं