बेटियां
बेटियां
किस राह पर है ये देश मेरा,
क्या चाहती है धरती माँ
किस पिता की हसरत है ये,
क्या कर दिखाएेगीं बेटियां ।
जन्म लेती है लक्ष्मी रूप मैं,
और समय अाने पर लक्ष्मीबाई बन जाती है,
फिर भी समाज चर्चा मैं उलझा,
क्या वह पहनकर बाहर जाती है ।
मार्गदर्शन मिले पिता का,
और पति का साथ बहुत है,
कामयाबी उनके क़दमों मैं है क्या
फिर भी मारी जाऐगी बेटियां।
न रोके उसे, न टोके उसे,
जौ अपने पिता का सिर गर्व से उठाना चाहती है,
आभार है उन महिलाऔ का,
जौ सबकुछ सहकर भी कुछ कर दिखाती है।