Varun Anand

Tragedy Abstract

3.5  

Varun Anand

Tragedy Abstract

मेरी माँ

मेरी माँ

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बस एक बार तुम्हारे आँचल की वो नर्म गोद मिल जाए।

बस एक बार तुम्हारे हाथ से रोटी का निवाला मिल जाए। 

बस एक बार और जीवन की पहली शिक्षक की डांट-फटकार मिल जाए। 

कोई गलती कर चोट खाऊं तो उसपर और गुस्सा करने वाली मेरी माँ की डांट चाहता हूँ।


किसी से डरने की जरूरत नहीं बोलकर लड़ाई क्यों की, बोलती थीं।

अपनी बहू पर किस-किस तरह के हुक्म चलाने हैं बहू के पैदा होने से पहले सोचने वाली।

जब स्कूल में कोई टीचर शिकायत करदें तो मुझे वहीं पीटते हुए टीचर को भी मुझे पीटने को सलाह देने वाली,

मोहल्ले में कोई मुझे जरासा भी डांट दे तो उसके घर जाकर लड़ने वाली,नारियल से कठोर और मख्खन से नर्म मेरी माँ की एक झलक चाहता हूँ।


कितना परेशान था मैं उस बार-बार आती हुई कॉल से जो हर घंटे दो घंटे में सताती थी। आज सारे काम छोड़ दूंगा दुनिया के बस वो कॉल बज जाए। 

कहती थी जिस दिन तू मुझे अपनी नेनो कार में बिठायगा में अपने हाथ से मिठाई बांटूगी। 

बैठना ही है तो कमसे कम एक्स यू वी तो बोलो कहकर नकारने वाला आज समझ आती हैं की नेनो पसंद ही इसलिए थी क्योंकि मैं आसानी से खरीद पाऊ।

 मैं दुनिया की सबसे महंगी कार ठुकराकर भी बस एक बार अपनी माँ को उस नेनो में बिठाना चाहता हूँ। 


बीमार होने से पहले बता देने वाली की आज इसकी तबीयत खराब होने वाली है, 

डॉक्टर को मेरे शरीर की हर वो जानकरी देने वाली जो मुझे भी नहैं पता होती थी।

आज बीमार पड़ता हूँ तो बीवी को भी बताना पड़ता हैं जो खुद से पहले मेरी चिंता करती है।

मेरा चहरा देखकर मन के हालात जानने वाली मेरी माँ का हाथ बस एक बार अपने सिर पर चाहता हूँ।


नाहिँ अपनी चिंता रहती थी नाहिँ अपने कपड़ों, खाने व किताबो की,

 मौसम कोई भी रहे, मुझे सर्दी, गर्मी व लू कभी छू भी नहीं पाती थी। 

आज हर मौसम का वो रौद्र रूप देखने को मिलजाता है, जिसे मैं बड़े हल्के में लिया करता था।

जो हमेशा मेरी ढाल थी बस एक बार मेरी उस माँ के होने का वो एहसास चाहता हूँ 


कभी सुबह जल्दी उठकर तैयार होते हुए मुझे देखा तो बोलने वाली की लड़कियों से दूर रहियो।

कोई लड़की पसंद आ गई है तो बता दे उसके बाप से बात करलेती हूँ। हर बार कहने वाली।

किसी की बेटी के साथ गलत काम मत करियो बोलने के बाद , 

अपनी दोस्त को मेरी तरफ से चोकोलेट देदियो बोलने वाली मेरी माँ की ठिठोली चाहता हुँ।


ख़ाना समय पर नहीं खाया तो ताना मारकर बोलने वाली की जिसे नों महीने पेट में रखा बात नहीं सुनता,

कोई गलती करने पर 'मेरी कीमत जाने के बाद पता चलेगी' बोलकर चप्पल फेंककर मारने वाली।

कभी दुखी हुआ तो किसी भी तरह मेरी परेशानी दूर करने वाली, आसानी से मेरी बातो में आजाने वाली। 

जिन्होंने कभी कुछ मांगा नहीं बस देने की नीयत रखने वाली मेरी माँ की बस एक मुस्कान चाहता हुँ। 


माँ बीमारियो से लड़ रहीं थी इसलिए मैं सो न पता था, तो आखरी बार अपनी गोद में मेरा सिर रखकर सुलाने वाली।

एक निवला भी खाया नहीं जा रहा था जब, लेकिन उनका बेटा भूखा है इसलिए दलिया खाने वाली, 

अपनी माँ की गोद में जब आखरी नींद ली तब उनका केवल एक हाथ की काम कर रहा था और उससे वो मेरी हवा कर रही थी

मेरी बहु को खुश रखियो और तू भी खुश रहियो बोलकर आशीर्वाद में मेरी कामियाबी की कामना करने वाली मेरी माँ हर इच्छा पूरी चाहता हूँ। 

    



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