बचपन की बातें
बचपन की बातें
बचपन की बातें
अब भूलने लगे हैँ,
उन दोस्तों के साथ बिताये हुए
उन बेसुमार पलों को
जिनकी कीमत नहीं लगायी जा सकती,
उन बचपन की दोस्ती अब दूसरि प्रार्थमिक्ता
बनने लगी है और सब कोई व्यस्त हो गए हैँ
अपने काम में।
अपनी व्यस्तता में भी कुछ पल
निकालके समय देना चाहिए उन दोस्तों को
जो कभी हमारे जान थे;
पिकनिक और आउटिंग प्लान करना चाहिए,
वक्त बिताना चाहिए उन दोस्तों के साथ
जिनसे कभी बात करने बिना,
और जिनको देखे बिना कभी हमारी दिन
पुरि नहीं होती थी।
दोस्तों के बिना हमारी ज़िन्दगी अधूरी है,
ये वो लोग हैँ जो हमारी ज़िन्दगी में
रंग भरते हैँ।
और बचपन के दोस्त सब से खास होते हैं।
इसिलिए उनकि कद्र करना चाहिए,
और उनको प्राथमिकता देनी चाहिए।
