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Shobha Sharma

Classics

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Shobha Sharma

Classics

बातें अनकही

बातें अनकही

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आज भोर के तारे से 

मेरी बात

कुछ इस तरह से हुई।

बातें अनकही सी 

टिमटिमा कर 

उसने यूँ कही।


देखा है मैंने

सारी रात उनको

मुझसे आँखें मिलाकर 

बात करते हुए 

उस मुकम्मल ठिकाने का

पता बता ऐ ! भोर के तारे।


जिस छत के नीचे 

अंक में बैठाकर ,

सुनाऊं , मासूमों को

कुछ सुनी कुछ अनसुनी 

वो जीवन की कहानी 

गूँज सके सुरीली रवानी।


क्या ये शाम

जो बीती

सच में होगी सुहानी 

या फिर भोर 

आने वाली लाएगी 

कोई खबर मस्तानी।


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