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Shobha Sharma

Romance

4  

Shobha Sharma

Romance

♡ *तरुणी*♡

♡ *तरुणी*♡

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आशाओं का दीप संजोया मैंने

आकर तुम ज्योती देना

मैं आलोकित हो जाऊंगी तुम आना

मैं पंथ निहारूंगी तुम आना

मै डगर बुहारूंगी तुम आना 


सूरज की लाली से माँग सजाई मैंने

आकर तुम जीवन को रंगीन बनाना

मैं सुहागिन हो जाऊंगी तुम आना

मैं राह तकूंगी तुम आना 

मैं डगर बुहारूंगी तुम आना


रजनीगंधा की वेणी लगा राह तुम्हारी देखूं

आकर  तुम उसको महका देना 

मैं सुरभित हो जाऊंगी तुम आना

मैं पंथ निहारूंगी तुम आना

मैं डगर बुहारूंगी तुम आना


निर्झरिणी की  झिलमिल चुनरिया ओढ़ी

आकर  तुम मेरा घुंघट उठाना 

मैं पावन हो जाऊंगी तुम आना

मैं पंथ निहारूंगी तुम आना 

मैं राह तकूंगी तुम आना 

मैं डगर बुहारूंगी तुम आना।


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