मेरे मीत मेरे गीत
मेरे मीत मेरे गीत
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ओ ! मेरे मन के मीत
तुम ही हो मेरे गीत
सावन की बूँदों में तुम
घन गर्जन की गूँज में तुम
भावों के प्रस्फुटन में तुम
तुमसे ही जीवन संगीत
ओ ! मेरे मन के मीत
जीवन की धूप-छाँव में
दुख - दर्द के घाव में
तूफानी डगमग नाव में
साथ तुम्हारे,न कोई भीत
ओ ! मेरे मन के मीत
हर डगर में थामे बाँहें
आसाँ कर देते हो राहें
पूरे हुए मुकाम जो थी चाहें
संग तुम्हारे मेरी जीत
ओ ! मेरे मन के मीत
याद समेटे हम बचपन की
चढ़े संग हम सीढ़ी यौवन की
समझी है भावुकता मन की
कभी न कम हो मेरी प्रीत
ओ ! मेरे मन के मीत।