Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sunriti Verma

Classics Inspirational

4.7  

Sunriti Verma

Classics Inspirational

व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब।

व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब।

1 min
265


होते हैं रचना के कई आकर्षण,

जैसे हो ढेरों का मिश्रण,

दिखाते व्यक्ति के गुणों को जैसे हो दर्पण,

कर देता यह व्यक्तित्व को समर्पण,

बनता है यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का प्रतिबिंब।


व्यक्ति को देता उचित-अनुचित का आभास,

कर के ही व्यक्ति में वास,

सबको देता है एक नवीन आस,

नहीं देखता कोई ऋतु कोई मास,

बनता है यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का प्रतिबिंब।


करता है यह संपूर्ण अर्पण,

बिना व्यर्थ किए एक भी क्षण,

यह करता है यही प्रदर्शन,

मौन रहकर बिना दिए भाषण,

बनता है यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का प्रतिबिंब।


नहीं है यह कोई एक झांस,

है यह करना कठिन परिश्रम का उपवास,

न ही है यह कोई हास-परिहास,

स्थगित नहीं करता है यह बुराई का विनाश,

अंततः क्या यह सत्य में बनता है

यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का प्रतिबिंब ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics