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Sunriti Verma

Inspirational Others

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Sunriti Verma

Inspirational Others

प्रकृति बाध्य नहीं।

प्रकृति बाध्य नहीं।

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माता है प्रकृति, है वह पोषिणी, 

उस में है 'दिव्य' प्रकाश। 

जो जग में विस्तृत करें दे रोशनी,

है वह हमारी जननी॥


जो होती है पंचतत्व से परिपूर्ण,

देती है छाँव और धूप।

पेड़ भी उसमें है, है पर्वतमालाएँ, 

है प्रकृति की अनेक गाथाएँ॥


हैं देवी का प्रत्यक्ष रूप प्रकृति।

ममतामयी है वह, समय आने पर विनाशकारी रूप भी है लेती।

ईश्वर की देन है हमपर इसीलिए हमें मिली है प्रकृति,

इसके कारण ही हमारी जीवित रहने योग्य स्थिति॥


शीत भी इसका है अभिन्न अंग,

धूप, छाँव, गर्मी, वर्षा के संग। 

हमारी जीवन में लाती कई रंग,

प्रकृति को अनुभव करने के है तो अनेकों ढंग॥


करती हमारी आवश्यकताओं को तृप्त,

प्रकृति में है जीवन की कठिनाइयों का साक्षात्कार।

प्रकृति में है हमारे जीवन का ही है सार, 

अनेकों विपदाओं को पार करने का आधार॥


कष्ट के द्वारों से हो के

देती है बलिदान।

परंतु मिलता है उसके स्थान 

पर उन्हें कुछ मनुष्यों द्वारा अपमान॥


ऐसे लोगों को है दुत्कार 

जो प्रकृति माता के बलिदान और प्रेम को करें अस्वीकार। 

प्रकृति माता से है पुकार,

न दें उन्हें अपनी प्रेम के अंश का उपहार॥


जो करते उनका उपहास 

उनकी बुद्धि का हो चुका है विनाश।

नहीं हमारा प्रकृति पर कोई व्यक्तिगत अधिकार 

उनकी दया इससे यह सारा संसार॥


नहीं रखनी चाहिए उस उल्लेखनीय प्रकृति को बाध्य करने की आस

उनकी देन है यह सब।

जब तक इन लोगों को होता है इस बात का आभास 

समय बीत चुका होता है जो होता है इनके पास॥


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