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Anupama Chauhan

Tragedy Classics Inspirational

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Anupama Chauhan

Tragedy Classics Inspirational

मायका:पराया हो रहा

मायका:पराया हो रहा

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शादी हो रही आज भाई की ,

मेरी ज़िंदगी में कुछ तो नज़ारा हो गया।

कल तक जिस घर पर हक़ जताती थी मैं,

आज वो मायका थोड़ा पराया हो गया।


वो ससुराल से लौटने पर मेरा,

कहीं भी पांव पसार कर सो जाना।

खट्टी मीठी बातें करते, खाते-पीते,

माँ के साथ बातों में खो जाना।


लग रहा जैसे सब कुछ बदल रहा,

मेरे अन्दर ही अन्दर कुछ तो जल रहा।

एक तरफ भाई की खुशियाँ आ रही,

दूसरी ओर घर पर राज छिन जाना खल रहा।


अब जाउंगी मायके तो शायद,

वो पहले जैसी कोई बात ही न होगी।

जब गप्पे लड़ाते थे जीजा साला

अब वो मस्ती भरी कोई रात ही न होगी।


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