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Anupama Chauhan

Romance Fantasy Inspirational

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Anupama Chauhan

Romance Fantasy Inspirational

उफ्फ़ ये बुढ़ापा !

उफ्फ़ ये बुढ़ापा !

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सुनो जी ! देखो न खुद को आईने में,

तुम्हारे बाल अब कितने पक गये हैं।

और मेरे इन हाथों को देखो ज़रा,

वक़्त के साथ काम करते थक गये हैं।


कल, तुम और मैं उन यादों को,

क्यों न फ़िर से ताज़गी से भर देते हैं।

अब ना कोई छुट्टी वाला बहाना बनाना,

इस बुढ़ापे को नयी उमंग से भर देते है।


कितना अच्छा लग रहा साथ तुम्हारा,

हमारा तो अभी भी स्कूटर ही साथ है।

ये एहसास तुमने जो फ़िर से दिया मुझे,

जब पार्क में बैठे हमारा हाथों में हाथ है।


इस बुढ़ापे में कौन बेवकूफ होगा जो,

घुटने के बल बैठकर मुझे इज़हार कर रहा।

रवानगी हो जानी है इस जहाँ से जब,

उस उम्र के पड़ाव में भी मुझसे प्यार कर रहा।


तुम यूँ निगाहें न मिलाओ मुझसे,

पोते-पोतियां ना जाने क्या बातें बनायेंगे।

अब फ़िर से तुमने आंख मारी न,

तो हम खुद को अब सम्भाल न पायेंगे।


अब मान ली तुम्हारी भी बात न,

आ गयी मैं कैंडल लाईट डिनर में साथ।

अब तुम यूँ अपने हाथों से न खिलाओ,

लोग कहेंगे वर्ना 'बूढ़ी में कुछ तो है बात।


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