होली है!
होली है!
सीधी-साधी रंग गयी धोखे से,कहते थे जिसको भोली है।
शुभ रंग प्रणय रंग दिया साँवरा,कह गयी राधा होली है।
मुखड़ा हुआ अबीर लाज से,पुलकित मन की कोर है।
होली में मनवा थिरके ऐसे-जैसे नाच रहा वन मोर है।
मौसम मादक मस्त हुआ,अरे!कहाँ किसी को होश है।
हुए मलंग सब डूबे मस्ती में,फाल्गुन का यह जोश है।
ढोल, नगाड़े, तबले खड़कें गीत संगीत से रंग बिखरे।
घुंघरू ताल पैर पैंजनिया छनके,खूब प्रेयसी करे नखरे।
कहें गोपियां हमें रंग दो ऐसे,खुशरंग प्रीत गुलकारी हो।
गाल लाल, गुलाबी हों आँखें अंगिया पर नव चित्रकारी हो।