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Rahulkumar Chaudhary

Romance Tragedy Classics

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Rahulkumar Chaudhary

Romance Tragedy Classics

रिश्ता अनमोल

रिश्ता अनमोल

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कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं।

जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।


कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं।

कटा एक सीन पिक्चर का तो सारे बोल जाते हैं।।


नयी नस्लों के ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं।

मगर माँ बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते हैं।।


बहुत ऊँची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी।

मगर मज़दूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं।।


अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नहीँ कहता।

फटी चादर की गलती हो तो सारे बोल जाते हैं।।


हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं।

च़रागों से हुई गलती तो सारे बोल जाते हैं।।


बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से अक्सर।

मगर जब घर में हो जरूरत तो रिश्ते भूल जाते हैं।।

 

कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं

जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।


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