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Shobha Sharma

Abstract

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Shobha Sharma

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किताबों में लिखो --*यादें*

किताबों में लिखो --*यादें*

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कुछ अपनी निशानियाँ भी लिख दो

कोरे पृष्ठों में कुछ चित्रकारी कर दो,

सुख-दुख के क्षणों को इनमें लपेट दो

इन किताबों में तितलियाँ समेट दो।


लोग थक हार कर लौट आएंगे जब

रास्ते में बिछी कहानियां पाएंगे तब

भूली बिसरी यादों को शुष्क हाथों से

सहला नम हो जाएँगे तब आँखों से।


झरोखे हो जाते रोशनारे कुछ यादों से

झिलमिल लड़ियाँ उभर आती तारों से,

चाँद भी निकल चमक जाता बादलों से

सूरज ने यूँ भर लिए हाथ आफताब से।


हर लफ्ज उठ खड़ा होगा नए लिहाज में

लकीरों को समेटता रंगों के लिबास में,

लड़खड़ाई थी लेखनी आई नए अंदाज में

खुशियों की सौगात सजा दो आगाज में।


भर दो कोरे पटल की गागर को सागर से

चुनकर मुक्तक भंडार,ज्ञान के खजानो से

आवरण पृष्ठ पर बिछा देना सौंदर्य धारों के

भोर की विभोर में नृत्य करे पंछी यादों के।


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