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Anil Sharma

Abstract Classics

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Anil Sharma

Abstract Classics

होली खूब मनाऊंगा

होली खूब मनाऊंगा

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 मैं ना हिचकिचाऊंगा न शरमाऊंगा,

जमकर रंग बरसा कर होली खूब मनाऊंगा।


तन मन भिगोकर मस्त हो जाऊंगा,

पराये क्या अपनों से ना पहचाना जाऊंंगा।


रूठो को मना उनको गले लगाऊंगा,

बैर भेदभाव सब भूल जाऊंगा।


होली के हुल्लड़ में खुद को भूल जाऊंगा,

उदासी हर मन से दूर भगाऊंगा।


उड़ा हवा में अबीर इंद्रधनुष बनाऊंगा,

बच्चों के संग बच्चा बन जाऊंगा।


पिचकारी गुब्बारे टोपी सब आज़माऊंगा,

बड़ों के चरण स्पर्श कर खूब आशीर्वाद पाऊंगा।


अल्लाह यौवन में मस्त चंग पर थाप लगाऊंगा,

रंगों से सराबोर हो, होली खूब मनाऊंगा।


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