अंतः बांटने वाले
अंतः बांटने वाले


कोई हाथ छोड़ जाए,
जिंदगी छूट जाए,
दिल टूट जाए ,
सपने बिखर जाए,
विश्वास खंडित हो जाए ,
जीवन के खूबसूरत मोड़ पर
आईना ही टूट जाए,
टूटे आईने के टुकड़ों में
धड़कन रुकती नजर आए।
वह अपनापन लूट जाए
जहाँ आते हुए मंदिर हो आना
मैं आज मंदिर नहीं जा पाई
कहने का हक छीन जाए।
मैंने बच्चों को गुस्सा कर दिया
आप प्यार से बात कर लेना
कहने का वह अपनापन खो जाए।
रास्ते से कहना, जल्दी में ईश्वर के
सामने हाथ जोड़ना भूल गया,
तुम जोड़ लेना
यह सुनने का अधिकार छिन जाए।
ये दो तन, एक मन
अंतः बांटने वाले
कर्ण के कवच से जुदा हो जाए।
आकाश धरा पर गिर जाए,
बादल एकाएक फट जाए,
संभलने का समय न मिल पाए।
कैसा लगता है
वह तो धरा से पूछा जाए,
धरा पर विध्वंस मच जाए।
वर्षों तक
जमीन सिसकती नजर आए ,
पर ये आह ! कोई समझ न पाए,
बस समय ही
इसे अपने में समा ले जाए।