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Deepti Tiwari

Tragedy Fantasy Inspirational

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Deepti Tiwari

Tragedy Fantasy Inspirational

अन्न

अन्न

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आज फिर वही बात हुईं,

अंधेरे गालियों में रोशनी की बारात निकली,

ऊंची गलियों से गुजरते जहां से रोशन सारी बात हुई,

आज मगन था झुंड में निकला शामियाने के पीछे से,

गुप चुप सा पर खुश जैसे उसका सारा जहां सा था,

चुन चुन कर उठता,

मटमैली प्लास्टिक की थैली में संजो संजो कर रखता,

छटी सी उम्र में भूख से बढ़कर और कुछ न था उसके लिए,

झूठी थालियों से बचे हुए को रखता बड़ी खुशी से,

तभी किसी ने टोका, डांटा, दौड़ते हुए,

जिम्मेदारी को कस कर पकड़े,

बिना रुके सड़क के किनारे अपने बहन और मां के साथ,

जैसे हो कोई जश्न मनाता,

पता नहीं मैं इस बात पर खुश हो जाऊं,

की उसका पेट भर गया होगा,

जिस संतोष के साथ आंखों को बंद कर के

निवाले को मुंह में डालता,

उसकी इस संतुष्टि को देखकर न जाने क्यों मन बहुत रोया मेरा आज,                    

अन्न के महत्व को लेकर मन फिर जागरूक हुआ,

मैं समझी अब तुम को हूं समझाती,

बड़े बड़े रेस्त्रां में खाने वाले,

एक एक अन्न के महत्व को जानने वाले,

ना करो इसका अपमान,

बचे अगर आप से दो किसी भूखे को,

हर निवाले पर आपको दुआएँ तो देगा,

पर वो जो ऊपर बैठा है वो भी नहीं पीछे रहना वाला,

करो बस अब इतना काम,

अन्न बचा कर करो अपना नाम।



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