अनेकता में एकता
अनेकता में एकता
भारत के कई हैं भिन्न भिन्न राज्य।
परंतु अपनी देश भूमि है अभाज्य।
प्रत्येक राज्य का है अनूठा स्वरूप।
अनेकता में एकता का है यही रूप।
प्रत्येक राज्य के व्यंजन, ग्रंथ, वस्त्र।
आभूषण, नृत्य, शिल्प, पुष्प, शस्त्र।
धर्म, रीति, संस्कृति, कला, वाद्ययंत्र।
मुग्ध कर देते, जैसे किया हो तंत्र मंत्र।
भाषायें तो हैं अनगिनत और निराली।
ग्रामीणों की हैं बोलियाँ भोली भाली।
सब में मिठास ऐसी, जैसे हो रसभरी।
परदेसियों को लगती शहद की गगरी।
अनेक प्रकार के खेल और लोक गीत।
विभिन्न रस के संगीत के बने सब मीत।
विविधता की देते हम, सब को मिसाल।
यह अनेकता में एकता बने हमारी ढाल।