अकेले हैं तो क्या गम है
अकेले हैं तो क्या गम है
अकेले वो नहीं जो भीड़ से परे अकेलेपन के साथ अकेले रहते हैं,
अकेले तो वे हैँ जो भीड़ में भी खुद को तन्हा महसूस करते हैँ।
अकेले वो नहीं जिनका जीवन में कोई संगी-साथी नहीँ है,
अकेले तो वे हैँ जिनके जीवन में साथी
होने के बाद भी साथ की कमी सदा बरकरार रही है।
अकेले वो नहीं जिन्होंने एकाकी ही हर तकलीफ
हर मुश्किल का पूरे जज़्बे और दृढ़ता से सामना किया है,
अकेले तो वे हैं जिनका संसार हमेशा दर्द और तकलीफ से महरूम रहा है।
अकेले वो नहीं जिसे शिखर तक पहुँचने में किसी अपने का साथ ना मिला,
अकेला तो वास्तव में वो है जो उन्नति का पीछा करने में
कुछ ऐसा व्यस्त हुआ कि खुद का अस्तित्व और वजूद ही भूल गया।
अकेला वो नहीं जिसने किसी को खो दिया, जिसका अपना दूर चला गया,
अकेला तो वो है जिसे आज भी किसी अपने के मिलने की दरकार है।
अकेला होना कोई अभिशाप नहीं अगर उस अकेलेपन में इंसान खुद से
भली भांति परिचित हो खुद का सबसे अज़ीज़ मित्र बन जाए,
अकेला होना एक अभिशस्ति कदापि नहीं अगर अकेला रहते रहते
सम्पूर्ण संसार से मुलाक़ात कर जाए और सृष्टि उसकी व वो सृष्टि का हो जाए।
