ऐसी आग लगाई
ऐसी आग लगाई
ऐसी आग लगाई ज़माने ने,
मैं जलता ही रहा, बस जलता ही ।
मेरी आग में लोग हाथ सेंकते रहे,
और मैं, बस जलता ही रहा, जलता ही ।।
ऐसा जला, न ख़त्म हुआ
और न राख बना ।
बस जलता ही रहा, जलता ही ।
किसी के तानों ने जलाया मुझे,
किसी की बातों ने,
किसी की हंसी ने जलाया मुझे,
किसी की आदतों ने ।
वो आग लगाकर हंसता रहा, और मैं,
मैं तो बस जलता रहा, जलता ही ।।