अदावत
अदावत
अदावत दिल में लिए, मोहब्बतें दिखाते हैं लोग,
न जानें किस तरह इतनी अदाकारी, कर पाते है लोग।
झूठ का तिलिस्म है रखा, हर सच के माथे पर,
हर तरफ झूठ का पहरा है, अब सच की आँखों पर।
अदावतों के ज़हर ने, ज़मीनों को कर दिया बंजर,
वे बागों का ख़्वाब दिखाते हैं, रंगीन कागज़ों पर।
दरिंदें देखो हर तरफ़, भले आदमी बने मिलते हैं।
पहरेदार का जामा हैं, अदावती नज़रें लिए फिरतें है।
है चमन मुश्किलों में, अमन है मुश्किलों में,
रुखसत कर अदावत को, अब रख मोहब्बत दिलों में।