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अनजान रसिक

Drama Romance Inspirational

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अनजान रसिक

Drama Romance Inspirational

आशिकाना उसकी ज़ुल्फ़ों का

आशिकाना उसकी ज़ुल्फ़ों का

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उसकी खुली ज़ुल्फ़ें आँचल की भाँति जो घेरने लगीं मुखड़े को उसके,

यूं लगा सूर्य के उजाले को ढक दिया हो बादलों के घूमर ने जैसे.

लटों से उसकी कोई शिकवा तो नहीं,

बस इतनी सी तो खता थी उनकी,


कि बिखरी हुई खुद थीं पर सौंदर्य ढक दिया मुखानन का उसके,

ठीक कुछ वैसे, आच्छादित हो जाती मतवाली बदली सूरज पर जैसे.

कसूरवार कौन है इसका इल्म किसी को भी नहीं,

क्योंकि स्वयं को राहत पहुँचाना आखिर कोई जुल्म तो नहीं।


नादानी इन केशों की मन को भा जाती एक तरफ,

दूसरी तरफ खटकती है नज़रों में उनकी, जो एक दीदार के लिए उसके,रहे बरसों से तड़प।

पर खतावार कैसे बोल दें उनको, क्या गुनाह गिनाएं उन प्रेमपाश में कैद लटों का,

जिन्होंने मुखानन की खूबसूरती की गिरफ्त में आकर  अपना अस्तित्व भी ख़ुशी से भुला दिया।


प्रेम की परम-काष्ठा का अद्भुत प्रमाण दे दिया जिन्होंने खुद बिखर के और गुमनाम हो के,

दोबारा दिल करा ही नहीं मुखड़े के दीदार का, उन जुल्फों का आँचल हटा के।...


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