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संदीप कुमार

Tragedy

4.9  

संदीप कुमार

Tragedy

आखरी मुलाकत

आखरी मुलाकत

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583


अगर मैं ना दिखूॅं फ़िर भी जश्न मना लेना,

बीती यादों को सोच तुम मुस्कुरा देना,

क्या खबर ये हमारी आखरी मुलाकत हो,

हो सके तो सारे गिले-शिकवे अपने दिलों से मिटा देना।


मेरी हर बातों को भूला कर,

तुम बीते यादों को जला देना,

और जो भी गुस्ताखीयाँ कि है मैने बीते कुछ दौर में,

हो सके तो उसे मिट्टी में मिला देना,

क्या खबर ये हमारी आखरी मुलाकत हो,

हो सके तो सारे गिले-शिकवे अपने दिलों से मिटा देना।


एक ख्वाहिश है ऐ दोस्त इस दिल में,

सौगात समझ मुझपे चढा देना,

और निकलते हुए मेरे जनाजे को,

एक कन्धा तुम भी लगा देना,

क्या खबर ये हमारी आखरी मुलाकत हो,

हो सके तो सारे गिले शिकवे अपने दिलों से मिटा देना।


थक गया हूँ मैं खुद से लडते-लडते,

अगले जन्म तुम सम्भाल लेना,

और जरुरत पडे मुझे सहारे की तो,

बिन सोचे अपना हाथ बढा देना,

क्या खबर ये हमारी आखरी मुलाकत हो,

हो सके तो सारे गिले-शिकवे अपने दिलों से मिटा देना।


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