संदीप कुमार

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संदीप कुमार

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अंजाम

अंजाम

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मत कर इतना ग़ुरुर ख़ुद में,

अभी तो अंजाम बाकी है,

मत समझ औरों को तू छोटा,

अभी तो जिंदगी के सारे

किरदार बाकी है


हम-तुम के कश्ती पर हो

कर सवार,

डुबोने एक दूजे को चले,

ख़ुद कि बिछाये जाल में,

ख़ुद ही मछली बन चले

फ़िर भी न जाने क्यो सबके

दिलो में,

एक नफ़रत का संसार बाकी है,

अभी तो अंजाम बाकी है,

अभी तो जिंदगी के सारे

किरदार बाकी है


ईर्ष्या की चिंगारी को,

ख़ुद ही रुप ज्वाला का दे चले,

अपनी सारी मानवता को,

ख़ुद ही आहूती हम दे चले

फ़िर भी ना जाने क्यो औरों से

उम्मीदें हम लाख करते है,

अभी तो ख़ुद में ही अभिमान

बाकी है,

अभी तो अंजाम बाकी है,

अभी तो जिंदगी के सारे

किरदार बाकी है



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