जन्नत से भी किमती है.....
जन्नत से भी किमती है.....


ये रिश्ता है एक अनोखा सा,
अजब है इसका प्यार,
जन्नत से भी कीमती है,
ये राखी का त्योहार।
मै बना बस भाई तेरा,
तू बनी मेरी संसार,
बन के माँ, बुआ, चाची,
लायी घरो में खुशियाँ तू हजार।
स्वर्ग बनायी तू बसेरो को,
कर के अपनी हस्ती कुर्बान,
जन्नत से भी कीमती है,
ये राखी का त्योहार।
यूँ ही नहीं चर्चें होते है,
रावण हर वक्त तेर नाम,
वो रिश्ता ही था भाई का तेरा,
जिससे वन वन भटके इस दुनिया के पालनहार।
मिटा के सारी हस्ती तूने,
बचायी इस धागें की लाज,
जन्नत से भी कीमती है,
ये राखी का त्योहार।
जाने क्यों अब ये दुनिया,
तुझसे इतनी नफ़रत करती है,
लड़को की ख्वाहिशों के खातिर,
चाहते तेरी दफ़न करती है।
फ़िर भी ये रिश्ता है एक अनोखा सा,
अजब है इसका प्यार,
जन्नत से भी कीमती है,
ये राखी का त्योहार।