STORYMIRROR

Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action Inspirational

4  

Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action Inspirational

आखिर मैं विचलित क्यूँ ना हूँ ?

आखिर मैं विचलित क्यूँ ना हूँ ?

1 min
204

आखिर मैं विचलित क्यूँ ना हूँ?

जब सुबह ही शंखनाद सुने 

दोपहर को अन्तरनांद सुने

संध्या को सोचो क्या होगा 

विस्मृत होकर सब नाच करें 

फिर भी मैं विचलित क्यूँ ना हूँ ! 


सब संस्कार का पाठ करें 

पर अहंकार से बात करें 

मन में सौ गांठे लेकर 

अपने ही जय जय कार करें 

फिर भी मैं विचलित क्यूँ ना हूँ !


कुछ लोग है अपने ऐसे भी 

दिखते सीधे साधे से हैं 

बाहें भरते, कसमें खाते

दुख देकर आह नहीं भरते

फिर भी मैं विचलित क्यूँ ना हूँ ! 


हम गर सचमुच मानव तन हैं 

तो हमको भी भाव मिला होगा 

फिर भी पर दुख से किंचित पल 

जब अंदर से भाव नहीं होता 

फिर भी मैं विचलित क्यूँ ना हूँ ! 


मैं तो ऐसा जीवन चाहूँ 

ना कपट करूँ या छल सोचूँ 

पर ऐसा संभव हो ना सका 

मन दर्द से भर कराह रहूँ 

फिर भी मैं विचलित क्यूँ ना हूँ !! 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action