होकर अधीर आदमी, चित्त संतुलन खोए भांति अग्नि दहक उठे, ज्ञान विस्मृत होए! होकर अधीर आदमी, चित्त संतुलन खोए भांति अग्नि दहक उठे, ज्ञान विस्मृत होए!
धरती के ललाट पर अंबर द्वारा जड़ा गया विस्मृत होता चुंबन धरती के ललाट पर अंबर द्वारा जड़ा गया विस्मृत होता चुंबन
दोस्त है तो फिर क्या गम है... दोस्त हमदम संग मेरे न किसी से कम है... दोस्त है तो फिर क्या गम है... दोस्त हमदम संग मेरे न किसी से कम है...
मेरी पहली कविता वह विस्मृति गर्भ में डूब गई। मेरी पहली कविता वह विस्मृति गर्भ में डूब गई।
हमें अपने पवित्र प्रेम को बोलकर मलिन नहीं करना है. हमें अपने पवित्र प्रेम को बोलकर मलिन नहीं करना है.
कौन हूँ मैं! किसीे की दुहिता भगिनी भार्या या फ़िर किसीे की जननी! कौन हूँ मैं! किसीे की दुहिता भगिनी भार्या या फ़िर किसीे की जननी!