थी गजब की यारी
थी गजब की यारी
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दोस्त है तो फिर
क्या गम है...
दोस्त हमदम संग मेरे
न किसी से कम है...
मस्ती और गज़ब की यारी
फिर न दिखती कोई लाचारी
सच कहूं तो आंखे हो जाती है नम,
क्योंकि मेरे दोस्त
हरदम हैं मेरे संग।
दोस्त संग बीते कुछ इस कदर पल,
बहुत याद आते हैं वो सुनहरे पल।
समेटना चाहता हूं वो विस्मृत यादें,
पता है ना आयेंगे वो बीत गये दिन।