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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?”

“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?”

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उदास मैं रहा करता हूँ

जिन्दगी को करीब से जब देखता हूँ

कहाँ कोई किसी की सुनता है ?

औरों के दर्द को

कहाँ महसूस कोई करता है ?

आँसू निकल जाते हैं

कोई सांत्वना भी देने नहीं आता है

सब अपने में व्यस्त

नज़र आते हैं

बेटे अपने माँ -बाप की

सुनते कहाँ हैं ?

समाज के लोग को अपने

कामों से फुरसत कहाँ मिलती है ?

वे भी उदास हैं

अपनी रहगुज़र से गुजरते हुए

देखता हूँ उदासी

समाज में विषमताओं को लेकर है

प्रलोभन के बाजारों में

राजनीति का खेल चल रहा है

उदास भला हम क्यों

ना हो यहाँ ,जहाँ धर्म और भाषा

में लोग बँटते जा रहे हैं

शहरी क्षेत्र के लोगों को लुभाने का

नुस्खा ईज़ाद करते हैं

बीहड़ जंगल और पहाड़ के लोग

उदासियों में ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं !!



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