“लहू के एक रंग”
“लहू के एक रंग”
चलो हम दूर चलें जाएँ
जहाँ सब साथ रहते हैं
नहीं कोई भेद हो हम में
सभी मिलजुल के रहते हैं
बसाएँगे शहर कोई
जहाँ धर्मों का संगम हो
घृणा की बात क्यों होगी
सदा प्रेमों का बंधन हो
खुशी के पल में ही मिलकर
खुशी के गीत गाएँगे
मनाएंगे सभी उत्सव
खुशी से गुनगुनाएँगे
मनाएंगे सभी होली
सभी ईदों में जाएंगे
करेंगे सब का हम आदर
नहीं कोई भेद लाएँगे
सभी हम एक जैसे हैं
कोई नहीं फर्क रहता है
बहे जब खून ही सब में
सभी का लाल रहता है
चलो हम दूर चलें जाएँ
जहाँ सब साथ रहते हैं
नहीं कोई भेद हो हम में
सभी मिलजुल के रहते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
19.05.2025
