“अपनी आवाज”
“अपनी आवाज”
आखें भला कब तक मूँदें रहोगे
कब तक भला अपने कानों में
ठेपियाँ लगा के रखोगे ?
कभी तो तुम्हें आवाज़ लगानी होगी
आखिर तुम मूक कब तक बने रहोगे ?
संस्कृति ,सभ्यता ,धरोहर और इतिहास पर
हम प्रहार करने नहीं देंगे !
विध्वंशक प्रवृतिओं को
इस पवन भूमि में पनपने नहीं देंगे !!
आज एक देश सिर्फ विश्व के देशों को
अपनी उँगलियों में नचा रहा हैं !
सबों को नतमस्तक करबाने के लिए
आयात पर टेर्रिफ लगा रहा है !!
आज विश्व नरसंघार को देखकर भी
अपनीआँखें मूँद लिया है !
मासूम बच्चों के क्रंदन को सुनकर भी
अनसुना कर दिया है !!
आखें भला कब तक मूँदें रहोगे ?
कब तक भला अपने कानों में
ठेपियाँ लगा के रखोगे
कभी तो तुम्हें आवाज़ लगानी होगी !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
28.08.2025
