"अकेले चल पड़ो"
"अकेले चल पड़ो"
मेरी आदत ही लिखना है,
इसे मैं प्यार करता हूँ !
किसी से है नहीं शिकवा,
मैं अपना काम करता हूँ !!
मिले कोई सफर में तो ,
उसे स्वीकार करता हूँ !
अगर कोई साथ हो मेरा ,
उसे अंगीकार करता हूँ !!
नहीं कहता किसी को भी,
मेरी रचना को पढ़ लेना!
कोई भी गीत मैं गाउँ,
उसे हरगिज नहीं सुनना !!
अभी तो खुद हूँ अनुगामी ,
मुझे कुछ भी नहीं आता !
मैं याचक बन के आया हूँ ,
मुझे कुछ और नहीं भाता !!
कोई नहीं साथ है मेरा ,
मुझे अपना ही करना है !
डगर में मैं अकेला हूँ ,
अकेला मुझको चलना है !!
मेरी आदत ही लिखना है,
इसे मैं प्यार करता हूँ !
किसी से है नहीं शिकवा ,
मैं अपना काम करता हूँ !!
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत
13.06.2025
