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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

“फेसबुक के बगीचे”

“फेसबुक के बगीचे”

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रेत की दीवारों से 

घर को बनाना भला क्यों चाहते हो ?

कहीं हवा के झोंके से भरभरा कर नीचे गिर ना जाए !

फेसबुक की भी दीवारें कहीं लड़खड़ा तो नहीं रही है ?

बना लेने को तो हम बना लेते हैं 

एक विशाल महल , 

ऊंची -ऊंची मीनारें, 

आँगन , बगीचे , 

स्वीमिंग पूल 

और रंगों से भर देते हैं फेसबुक !

जितने कम समय में हो 

एक भव्य अट्टालिका बन जाती है , 

नये दोस्तों की लम्बी सूची जुड़ने लगती है !

पर उसी रफ्तार से 

क्रमशः धराशाही होने लगती है !!

हम भूल करते हैं और बेवजह 

मित्रता को बढ़ाना चाहते हैं! 

गुणवत्ता को बिन जाने- पहचाने 

कोई महल का निर्माण भला होगा कैसे ?

आखिर वे तो रेत के टील्हे पर टिकी है !

मित्रता का महल ठोस नींव, 

दीवारोंऔर मजबूत छतों से बनता है , 

उसको बनाने के लिए 

आपसी सहयोग और 

समान विचार धारा की  ईंटों की जरूरत होती है !!

एक दूसरे को जान पाएँ, 

सीमेंटों के तरह आपस में जुट तो जाएँ !

विचारों का आदान -प्रदान के 

रंग -रोदन से अपने फेसबुक के घरों को सजाना होगा , 

छोटे -बड़े , 

रंग भेदरहित, 

भाषा को सम्मान और 

धर्मों का आदर करके 

फेसबुक के बागों में 

सुगंधित फूलों को उगाना होगा !!


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