आज फिर वसुंधरा के दामन में
आज फिर वसुंधरा के दामन में
आज फिर वसुन्धरा के दामन में वीरों की लथपथ काया है,
देखो पीठ पीछे वार करने वह फिर दुश्मन नजदीक आया है।
असावधान या इत्तफाक ए साजिश थी यह तय अब वीर करेंगे,
नहीं रहेगा कोई आतंकी अंधाधुंध मरेगा अब रणधीर वीर लड़ेंगे।
घर का भेदी जो लंका ढाये वह दुश्मन से पहले सुन मारा जायेगा,.
हर कौम का आदमी यहां वहां की छोड़ वतन पर आ जां लुटायेगा।
आज मां वसुंधरा लहू के बदले लहू चाहती है दुश्मन हो तैयार,.
जहां भी देखें हलचल वहां खाक दुश्मन होने को रहें ख़्वार।
देश विरोधी नारे देश विरोधी तिरंगे देश के स्वाभिमान से खिलवाड़ हैं,
वह ना किसी कौम के वह आतंकवादी और खुले जल्लाद हैं।
सारा जहां है जिनसे परेशां उन पर न हो दया कभी,.
मिटा दी जाये हसरतें उनकी जो तकलीफ हया देतीं।
