STORYMIRROR

Pratik Rajput

Drama

2.5  

Pratik Rajput

Drama

आज नींद नहीं आएगी

आज नींद नहीं आएगी

1 min
1.6K


आधी रात होने को है, चाँदनी छिटकी है,

सुस्त पड़ा आसमान, घने कोहरों के बीच,

ऐसे हँसी पल का कोई ना कोई सार है;


न जाने क्यों ? इन कोरे अँखियन को ,

अभी भी एक गहरी नींद का इंतजार है।


मन थोड़ा बेचैन सा है, एक घबराहट है,

उठ रहे अहले मन में बेबाक सैकड़ों सवाल,

फ़र्क़ कैसे करे, ये जीत है या हार है;


न जाने क्यों ? इन कोरे अँखियन को ,

अभी भी एक गहरी नींद का इंतजार है।


घड़ी की छोटी सुई भी आज दिख रही है,

एक मध्यम सी रोशनी है कमरे में, फिर भी

शायद इस दिल पर कोई अनजान सा भार है;


न जाने क्यों ? इन कोरे अँखियन को ,

अभी भी एक गहरी नींद का इंतजार है।


लाखो बातें हैं कहने को पर अफ़सोस

वो दिल की धड़कनों में दबी रह जाएंगी,

सुनने को कोई नहीं, खुद से कहते बार-बार है,


न जाने क्यों ? इन कोरे अँखियन को,

अभी भी एक गहरी नींद का इंतजार है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama