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Pratik Rajput

Abstract

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Pratik Rajput

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ऐसे अटल

ऐसे अटल

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राष्ट्रहित में पूरा जीवन न्यौछावर कर चले गए,

देश की अभिमान के खातिर सेवक बन लड़ चले गए।


प्रतिष्ठित कवि, कुशल वक़्ता मानो गहरी नींद में सोया है,

बिलख रहा है देश आज, कोई अपना खोया है।


महापुरुषों के श्रेणी में उनका नाम गर्व से लेते हैं,

ऐसे देश के लाल को हम अमर श्रद्धांजलि देते हैं।


यादों की गम में डूबे अंतरात्मा रोया है,

बिलख रहा है देश आज, कोई अपना खोया है।


क्षतिपूर्ति ना हो पाएगा सिमट गया संपूर्ण पटल,

हुआ ना होगा युग में दूजा उनसा कोई अटल।


कालखंड में याद रहेंगे ऐसी गरिमा को संजोया है,

बिलख रहा है देश आज, कोई अपना खोया है।


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