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Gaurav Dhaudiyal

Drama

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Gaurav Dhaudiyal

Drama

आज नहीं बोलूंगा

आज नहीं बोलूंगा

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यूं तो लम्हे गुजर गए थे उन जज्बातों के 

हसीन लम्हों में कैद हर इक रातों के

ख्वाहिशों का समंदर

साहिल पे बैठ जिसके ये मन मचल जाता था।


देखा था समंदर में डूबते लोगों को 

मगर फिर भी ये खुद को आजमाना चाहता था

उस समंदर में क्या हुए 

ये राज़ कभी नहीं खोलूंगा।


एक गहरी सांस लेकर इन लहरों में ही रो लूंगा

बहुत कुछ कहना था तुझसे मगर

आज नहीं बोलूंगा

फिर एक करवट तेरी आयी 

काले बादलों के बीच

एक एहसास की चमक सी छाई।


सोचा था अब क्या ही मारेगा ये समन्दर मुझको

मगर तुझे देख फिरसे क्यों ये आंखें भर आई

खफा था तुझसे मैं हर एक बात के लिए

मगर ये लफ़्ज़ ना दे सके गवाही।


तुझे फिरसे देख मुझे क्या हुआ

ये राज़ कभी नहीं खोलूंगा

बहुत कुछ कहना था तुझसे मगर

आज नहीं बोलूंगा

आज नहीं बोलूंगा।


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