STORYMIRROR

आईना

आईना

1 min
451


रिश्ता जोड़कर कोई तोड़ने की आदत नहीं मुझको,

दिल के सीधे रस्ते को मोड़ने की आदत नहीं मुझको।


काँच के आईने में चेहरा देखकर खुश हो लेता हूँ मैं,

उसकी नज़रों में नज़ारे छोड़ने की आदत नहीं मुझको।


गहरा कितना है बन्धन अब भला कैसे बताऊँ उसको,

कि आँसुओं के सहारे से जोड़ने की आदत नहीं मुझको।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama