जन्मदिन
जन्मदिन
2011 अगस्त 26 की सुबह जल्दी जल्दी तैयार होकर दिल्ली कैंट बेस हॉस्पिटल पहुंची । मेज़र साहब से मिलने जब कमरे में पहुंची तो साहब नदारद .... वार्ड बॉय ने बताया साहब तो घर गए आज आपका जन्मदिन है न ? "हैप्पी बर्थडे मेमसाब " इट्स ओके । मैं जल्दी जल्दी लौटना चाह रही थी जीने पर कर्नल अल्का मिली देखते ही कहा "हाय मिसेज कुमार हाऊ आर यू ?" "आई एम फाइन , थैंक्यू आपने कुमार का बहुत ख्याल रखा अगर उस दिन आप नहीं मिलती तो कुमार के साथ हादसा हो सकता था ।" कर्नल अल्का मुस्कुराने लगी जिनकी आप जैसी बीवी हो उन्हें कभी कुछ अनहोनी नहीं हो सकता । मैंने इमरजेंसी में डेट इसलिए नहीं दिया था कि कुमार बहुत सिरीयस थें बल्कि इसलिए दिया की आप बहुत कनसर्न थी । कुमार से ज्यादा तो आपकी हालत खराब लग रही थी इसीलिए मैंने कुमार को रोक कर बोला भी था याद है न ? जी हां , याद है मुझे .... कहते हुए मैं उतरने लगी थी मुझे जल्दी से घर पहुंचना था ।
स्कूटी से शॉट रास्ते से पहले पहुंचना चाहती थी। चल कर नहीं उड़ कर पहुंचीं थी उस दिन। थैंक गॉड कुमार नहीं आए थे अभी जल्दी जल्दी ऊपर पहुंची ही थी कि बेल बजा लपक कर दरवाजा खोली हाथों में गुलदस्ता लिए हुए खड़े थे मेज़र साहब मुस्कुराहट फीकी सी लग रही थी । चार दिन पहले सर्जरी हुई थी खाना पीना बंद था कमजोर तो हो ही गये थे .... पलकें भींग गई थी लिपट गई बच्चों का लिहाज भी न रहा । बिना टांका कटवाए हॉस्पिटल से भाग कर आएं थे सिर्फ जन्मदिन मनाने के लिए शाम को रॉल कॉल तक पहुंचना था। अपने रिस्क पर छोड़ा था कर्नल बत्रा ने ।
दिन में ही हमने जन्मदिन मनाई केक कैंडल और खाना बाहर से आर्डर किया था जल्दी जल्दी मेज़र साहब के लिए लौकी की सब्जी और आटा उबाल कर दो फुलके से की। तीनों बच्चों के साथ जन्मदिन की पार्टी सेलिब्रेट किया वक्त बड़ा जल्दी गुजर गया शाम होने को थी । जिप्सी आई फिर मैं हॉस्पिटल तक छोड़ने गयी थी। जब बेड पर छोड़ कर लौटने को हुई तो फिर आंखें भर आई वहां बाकी पेशेंट कहने लगे साहब आपकी लव मैरिज हुई थी क्या ? कुमार हंसने लगे बोले क्यों भाई ऐसा क्यों लगा ? साहब आपरेशन के पहले से लेकर अभी तक जो देख रहा हूं वो सब यही बता रहा है । हम सब की मेमसाब हैं उन्हें भी देखा है ....।
मैं कुछ बोलना तो चाहती थी मगर बोल न सकी , लौट आई । बहुत अच्छा रहा मेरा जन्मदिन ... इससे अच्छा और क्या उपहार हो सकता था । मेरे पति परमेश्वर मेरा जन्मदिन मनाने के लिए चोरी चुपके घर आए और रात होने से पहले हॉस्पिटल अपने बेड पर पहुंच गए । बड़ी हंसी आ रही थी यह सोचकर कि हॉस्पिटल में सभी ने बदनाम कर दिया हमें । हमारी शादी तो अरेंज मैरिज थी हमने एक-दूसरे को देखा तक नहीं था । ससुराल पहुंच कर दूसरे दिन मैंने खिड़की से छुपकर देखा था उन्हें ......। स्पर्श जरूर किया था सुहागरात की रस्म अदायगी में लेकिन नज़र भर देखा नहीं था । फिर भी दुनिया समझती है हम जन्म जन्मांतर से युगल प्रेमी प्रेमिका हैं