Sarita Kumar

Romance

3  

Sarita Kumar

Romance

यादों की बारिश

यादों की बारिश

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इस बरसात में आकाश से पानी ही नहीं बरस रहा है बल्कि होने लगी है यादों की बारिश । बीतें दिनों की ढ़ेरों सुनहरी यादें .... जो महज़ यादें ही रहेंगी क्योंकि हम फिर कभी नहीं मिल सकेंगे और कभी नहीं दोहरा सकेंगे उन स्वर्णिम पलों को । नहीं कर पाऊंगी उस तरह उनका इंतजार ... नहीं बैठ सकूंगी उनके सामने उनसे थोड़ा दूर । जहां से अपलक निहार लिया करती थी और पढ़ते पढ़ते जब वो नजरें उठाते थे तब फेर लेती थी अपनी नज़र । बिना कुछ बोलें समझ लेते थे वो मेरे मन का संवाद ... बड़े हौले से मुस्कुराकर नजरें झुका लेते थे । पल भर की नज़र सदियों बाद भी है मेरी नज़र में .... तीखे नैन-नक्श , घुंघराले से बाल , होंठ तो ऐसे गुलाबी जैसे कभी चाय तक नहीं पी हो । आंखों में एक ठहराव जो अक्सर उलझा लेता था मुझे । तभी तो याद है आज भी वो आंखें , वो नज़र , वो हल्की सी मदमोहक मुस्कान । जब साथ थे तो कभी लगा ही नहीं कि होगी कोई उनके मन में भी बात मगर विदा होकर परदेश क्या गए मेरी तो लॉटरी ही लग गई । मोतियों से हर्फ में मीसरी सी बातें , ढेरों सौगातें यूं गिरने लगी मेरी झोली में कि लगने लगा मैं दुनिया की सबसे खुशनसीब इंसान हूं । मेरे आंगन में उतर आया था आसमां का चांद, सितारों ने खूब जगमगाया था मेरा घर । बहारों ने फूल बरसाए और कोयल के मंगल गीत गाए । बेहद खूबसूरत लगने लगा मेरा संसार जहां था बस प्यार ही प्यार , राग अनुराग और खुशियों की बरसात । पूरा का पूरा मिला था वो जिसे मैंने बस चुन्नू सा ही चाहा था । यकीन बिल्कुल भी नहीं था कि मिलेगा मुझे मगर बेहद , बेइंतहा और बेहिसाब मिला । 

यह और बात है कि मुझसे संभाला न गया ईश्वर की नेमतें और गंवा दिया अपना पसंदीदा जहां । 

याद है मुझे वो तमाम बातें , एक बार लिखा था उन्होंने - "जब भी कहीं अच्छी सी चाय पीता हूं , तुम्हारी रद्दी सी चाय बहुत याद आती है ।" फिर दूसरे ख़त में लिखा था -"वो घरौंदा जो मिलकर बनाया था , संभाल कर रखना मेरे लौटकर आने तक ।" 

खतों का सिलसिला जारी रहा बरसों बरस । उसके बाद हुआ एक हादसा और फिर शुरू हो गया हादसों का सिलसिला .....अब मुझे कुछ याद नहीं कि हम कैसे बिछड़ गए और क्यों नहीं मिलें ।


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