दोस्त
दोस्त
जो आंखों में आंखें डालकर बैठा रहें, मेरी तारीफों के पुल बांधे और मेरे रूप सौन्दर्य के कसीदे काढ़े। मेरी हर हां में हां मिलाए, मैं जो भी चाहूं वही करे .......। यह सब करने वाला मेरा "सच्चा दोस्त" नहीं हो सकता। मेरा सच्चा दोस्त तो वो हो सकता है जिससे सदियों की दूरी हो मीलों के फासले हो जिसके आंखों में आंखें डाले हुए सदियां बीत जाए। जिससे ना कभी संवाद हो, फिर भी वो मेरे कठिन वक्त में साथ हो मुझे सहारा दे, संभाले, मेरी उलझनों को सुलझा दे, मेरी गलत बातों का विरोध करें, मेरी आलोचना करे और जब कभी पुरस्कृत होऊं तब कहे तुम इससे भी अधिक अच्छा कर सकती हो। तुम्हें तो और ऊंची बुलंदियों को छूना है तुम्हें और आगे बढ़ना है और तुम बढ़ सकती हो। तुम्हें सफलता के उच्चतम शिखर तक पहुंचना है। सहज रहो, सजग रहो, निरंतर प्रयत्नशील रहो। अपनी उपलब्धियों का शोर न मचाओ।
और मैंने देखा है ऐसा एक "सच्चा दोस्त " और सच्चा प्यार करने वाला रिश्ता। जो सिखाता है, समझाता है और गलती करने पर डांटता है, धमकाता है, सजा देता है और ब्लाक भी कर देता है। मगर बीमार होने की झूठी खबर भी मिल जाए तो लिए जमीन आसमान एक कर देता है। कभी फोन नहीं करता ना ही कभी मिलने आता है। लेकिन अंतर्मन से जुड़ाव रखता है। जब जिस बात की तलब होती है वह कहे बिना हाज़िर कर देता है। हैरान हो जाती हूं कभी कभी जब उलझे हुए सवालों को सुलझा कर भेज देता है। कल्पना से परे है ऐसा मानसिक प्रेम जो मीलों के फासले को पल भर में पाट देता है। सदियों पीछे ले जाकर ठीक कर देता है किसी की नादानी वश भहरा दिए गए घरौंदा को और सजा संवार देता है। पलकों के बंदनवार से आंसुओं के मोती से और भर देता है दामन खुशियों के सौगातों से।
सच्चा दोस्त, सच्चा प्रेम करता है,सुख देता है, सुकून देता है, मन शीतल करता है, मान सम्मान और मर्यादाओं के सीमा में रहता है।