परिवार
परिवार
रात के दो बजे थें मैं बालकोनी में खड़े होकर बाय कर रही थी अपनी बेटी को चार बजे की फ्लाइट थी एयरपोर्ट पास में ही है लेकिन उसे पहले रिपोर्ट करना होता है। सातवें महलें से नीचे पहुंच गयी थी ड्राइवर ने सूटकेश पीछे रखा और गेट खोला। इशू ने मुझे बाय किया और बैठ गई। मैं पलट कर कमरे में आने को थी कि बगल वाली बालकोनी पर नजर टिक गई आंखें खुली की खुली रह गई। निशा सिगरेट पी रही थी और छल्ले बना बना कर उड़ा रही थी। खोई खोई सी न जाने किस शुन्य में कुछ तलाशती हुई आंखें जमाई रही उसे यह एहसास तक नहीं हुआ कि मैं खड़ी हूं। शायद किसी उलझन में है, कोई तनाव, कोई परेशानी जरूर है वरना मुझे देखने बाद चुप नहीं रहती। "हाय आंटी " इतने प्यार से बोलती तो मेरा मन भी आनंदित हो जाता। जब भी इशू ड्यूटी पर रहती और निशा घर पर तो हम साथ साथ खाना खाते थें। कभी वो कुछ बनाकर ले आती, कभी इसी एड्रेस पर आर्डर कर देती या कभी मेरे किचन में ही खुद से कुछ बनाकर खिलाती। मुझे बिल्कुल काम नहीं करने देती। निशा पड़ोसी भी है और एक ही एयरलाइंस में जॉब करने की वजह से कलिग है लेकिन मेरे साथ जिस तरह रहती है जैसे वो भी मेरी बेटी ही है। मुझे मंजूर है, हमेशा से ढ़ेर सारे बच्चों की मां बनना चाहती थी। भगवान जी ने तीन बार उस पीड़ा के आनंद लेने का सुअवसर दिया लेकिन लगभग दो सौ बच्चों के मां बना दिया। "मदर्स डे" और "टीचर्स डे " के दिन देश विदेश से इतने सारे मैसेज और कॉल आते हैं कि कभी कभी मेरी अपनी ही इशू से बात नहीं हो पाती है।
बाकी दो बच्चों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन इशू बहुत खफा हो जाती है उसे मेरे "दो सौ बच्चों " से कभी कभी बड़ी जलन मचती है। इसमें गलत भी क्या है आखिर इशू मेरी अपनी संतान है और आखिरी संतान है तो मेरे सारे प्यार दुलार पर इसका का अधिकार होना चाहिए जिसके हिस्सेदार दो सौ पैदा हो गये हैं। लेकिन निशा से इसे कोई प्रोब्लम नहीं थी क्योंकि जब विदेश यात्रा पर जाती थी तो लौटने से सात आठ दिन लग जाते थें ऐसे में निशा मेरा बहुत ख्याल रखती थी।
"हाय आंटी", "हैलो आंटी" .... फिर उसने कहा "गंदी मम्मा " फिर मैंने कहा "हां बेटा बोलो " जोरदार ठहाका लगाया था उसने "ओ .. तो आप गंदी मम्मा हो ?" मैं भी हंसने लगी थी और अनदेखा कर दिया उसके हाथ में जो सिगरेट था उससे उसकी अंगुली सिक गई ... बिना चीखें उसने धीरे से नीचे गिरा दिया। बेमतलब की बातें कर के मैं कमरे में सोने के लिए आ गई। अक्सर इशू को भेजने के बाद वापस सो जाती हूं। लेकिन उस दिन मुझे नींद नहीं आई। आंखों के सामने उस प्यारी सी बच्ची का चेहरा घूमने लगा ....। याद आया एक दिन इशू और निशा दोनों ने अपने एक स्टाफ के खिलाफ शिकायत की थी क्योंकि सिगरेट के धुंआ से इन दोनों को प्रोब्लम होती थी। हैरानी इसी बात की है कि जिस बच्ची को सामने किसी दूसरे के सिगरेट पीने से तकलीफ़ होती थी घूटन होती थी खांसी उठ जाती थी सांस लेने में दिक्कत होने लगती थी आज वो लड़की छल्ले पर छल्ले उड़ा रही है ????? आखिर ऐसा क्या हुआ होगा ? चुकी उसने छुपाने की कोशिश की थी इसलिए उससे पूछना मुनासिब नहीं लगा। मुझे इंतज़ार करना होगा इशू के लौटने का। मैंने अपने मन को समझा लिया की इशू के आने पर सब ठीक-ठाक हो जाएगा। दोनों सहेलियां बहुत अच्छी दोस्त हैं एक दूसरे के इंस्टाग्राम और फेसबुक का पासवर्ड जानती है। इससे बड़ा और कोई सबूत नहीं हो सकता इनकी पक्की दोस्ती का।
इशू के आने में दो दिन बाकी थें तभी वो हादसा हो गया। निशा सिगरेट के साथ वाइन भी ले लिया और संभाल नहीं पाई हालत बिगड़ने लगी तब मुझे फोन किया मैं तुरंत चल पड़ी किसी अनहोनी के आशंका से कलेजा कांप गया था ...।
पहुंच कर देखा बहुत बुरे हाल में फूल सी नाज़ुक बच्ची ...। नींबू पू पिलाई और डॉ को फोन किया आधे घंटे में डॉक्टर साहब आएं उन्होंने चेकअप किया और बताया "कुछ खास बात नहीं है इसने शायद पहली बार वाइन पी है और सिगरेट पीने की लत लगा लिया है। शायद कोई परेशानी है इनके मम्मी पापा को बता दीजिए।" मैंने कहा था देखिए मैं इनकी आंटी हूं मैं संभाल सकती हूं, दो चार दिन देख लेती हूं फिर इनके मम्मी पापा को बता दूंगी। डॉ साहब चलें गयें। निशा गहरी नींद में सो रही थी। मेरा मन विचलित हो रहा था। कैसे संभांलू ?
दूसरे दिन जगने के बाद निशा बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी। उसने बताया वो बहुत दिनों से मानसिक तनाव में है। किसी से कुछ कह नहीं सकती इसलिए उसने सिगरेट पीना शुरू किया लेकिन तनाव कम नहीं हुआ तो कल वाइन पी लिया था ताकि उसकी परेशानी खत्म हो जाए। इसी बात का इंतजार था जब वो स्वंय मुझे अपनी परेशानी बता दें फिर मैं उसका समाधान कर सकूं
लेकिन जब उसने अपनी समस्या बताई तो हंसते हंसते मेरा बुरा हाल हो गया। इत्ती छोटी सी बात का फ़साना बना लिया था। शायद इसलिए कि जब हम कोई बात सबसे छुपाना चाहते हैं तो वो बात हमें उतना ही ज्यादा परेशान करती है। निशा को कोई अच्छा लगने लगा है और उसने तो प्यार का एलान कर दिया है। एक पार्टी में सरे-आम बोल चुका है कि वो निशा के साथ शादी करने वाला है। बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकते हुए मैंने पूछा कि"इसमें दिक्कत क्या आ रही है जब तुम्हें भी पसंद है ?" उसने कहा "मैं पापा को नहीं बोल सकती " मैंने कहा ठीक है मैं बता देती हूं। निशा चुप हो गई शायद हां हो इसलिए मैंने फोन किया और कहा कि आप लोग दो चार दिन के लिए यहां आइए। फिर मजनू मियां को डिनर पर बुलाया अपने घर। निशा बिल्कुल ठीक लगने लगी। हम अपने फ्लैट में आ गये खाना बाहर से आर्डर किया और निशा के साथ मिलकर घर सजाया, खाना बनाई ठीक नौ बजे मजनू मियां पहुंच गए। समय की पाबंदी प्रभावित की मुझे। पहले हमने कॉफी पी उसके बाद सवालों के प्रहार से विचलित करने की कोशिश की मगर मजबूत इरादों वाला एक गंभीर इंसान पूरे आत्मविश्वास के साथ डटा रहा। अच्छा लगा मुझे इशू भी आ गई हम सभी ने खाना खाया। मजनू मियां अब जमाई राजा के उपाधि से नवाजे जा चुके थें। उनको विदा कर के हम तीनों ने खुब जश्न मनाए। इशू हैरान थी मैंने कैसे इतनी आसानी से शॉट कर दिया। दो महीने से दोनों सहेलियां जिसे नहीं सुलझा पा रही थी उसे एक पैक वाइन ने सुलझा दिया ...?
दूसरे दिन मेरे घर पर ही निशा की सगाई हुई। हमने बहुत धूमधाम से सेलिब्रेट किया।
हम बड़े लोग अलग बैठकर बातें करने लगे कि बच्चें अपने मन की बात बताने से क्यों घबराते हैं ? उनके दिल में यह विश्वास पैदा करना होगा कि हम हमेशा अपने बच्चों के साथ हैं।
हम माता-पिता को भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी और खुले दिल से बच्चों की इच्छाओं और आकांक्षाओं का स्वागत करना चाहिए। वरना पहले सिगरेट, वाइन, शराब और फिर ड्रग्स के अंधे कुएं में हमारे बच्चें चले जाएंगे और शायद हर बच्चें को वहां से वापस लाना मुमकिन नहीं हो।
सभी मात पिता से एक गुज़ारिश है मेरी अपने बच्चों से मित्रता करें, मित्रवत व्यवहार रखें। उनके दिल में यह भरोसा जगाए कि वो सही फैसला करे और हम उनके फैसले में उनके साथ हैं।