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Sarita Kumar

Others

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Sarita Kumar

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जन्मदिन

जन्मदिन

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आज फिर मेरा जन्मदिन आया है । मेरी बिटिया रानी हजारों मील का सफ़र तय करके आई है हमारे साथ सेलिब्रेट करने , हालांकि उसने उपहार में "डायमंड रिंग" पहले ही भेजवा दिया था फिर भी आई है । खुश हूं बेइंतहा । इसके पहले भी बच्चों ने मेरा जन्मदिन बहुत बार बहुत स्पेशल तरीके से मनाया है । मुझे 2012 का जन्मदिन भी याद है जब अंकेश सरप्राइज देने के चक्कर में बिना बताए चुपके से स्कूटी लेकर चल पड़ा था नये शहर में और रास्ता भटक कर खो गया और एक अजीब सी बस्ती में पहुंच गया । वहां पहुंच कर उसके होश उड़ गए थे । उसने कितने लोगों से रास्ता पूछा मगर किसी से सही नहीं बताया और बार बार वो उसी मस्जिद के पास लौट आता था तब पहली बार उसने बजरंग बली को याद किया और रफ्तार बढ़ा कर चल पड़ा अजनबी रास्ते पर । केक , मिठाई , चिकन पॉपकॉर्न , माजा सब कुछ ले चुका था । बहुत तेज़ी से चलता हुआ जब उसे फौजी लोग दिखाई देने लगे तब राहत महसूस किया । घर पहुंचकर जब सारी बातें बताई तो बरबस मेरे आंसू निकल पड़े ....। मुझे सरप्राइज देने के लिए कितना बड़ा खतरा उठाया था .....? सहसा मुझे वो घटना याद आ गई जब पापा मेरे लिए हरे रंग का बॉबी प्रिंट का सलवार सूट और काले रंग की चुन्नी लेकर आ रहे थे और रास्ते में एक्सिडेंट हो गया था । घंटी बजते ही मैं दौड़ती हुई नीचे आकर दरवाज़ा खोला और हाथ फैलाते हुए कहा था पहले मेरा गिफ्ट ? पापा ने पैकेट पकड़ा दिया लेकिन कुछ बोलें नहीं तब मैंने ध्यान दिया उन्हें चोट लगी थी और कपड़े पर कीचड़ लगा था । बरसात के पानी में अंदाज नहीं मिला , रिक्शा पलट गया था । मुझे बहुत दुःख हुआ लेकिन उसके बाद भी पापा ने मेरा जन्मदिन बहुत अच्छे से मनाया मां बहुत उदास रही वो भी मुझे याद है । बचपन की भी बहुत सी बातें याद आ रही है । पापा की बहुत याद आ रही है । बचपन के अनगिनत यादें अभी भी मेरे मानस पटल पर अंकित है जब जन्मदिन के दिन मैं सो कर जगती थी तो मेरे तकिया के नीचे टॉफी , पॉपिन्स और कोई न कोई किताब जरूर रखी मिलती थी । जब देखकर मैं खुश हो जाती थी और मां से पूछती थी कि कहां से आया तो पापा कहते थे सैंटा आया था और वो तुम्हारे लिए उपहार रख गया । धीरे-धीरे हम सभी बड़े हो गए और असलियत जान गये कि सैंटा कभी नहीं आता है हमेशा पापा ही हमारे पसंदीदा उपहार लाकर तकिया के नीचे छुपा देते हैं । पापा का यह अनोखा अंदाज मुझे बहुत पसंद आया और मैंने भी अपने जीवन में अपने बच्चों की सैंटा बनने की कोशिश की और ना सिर्फ क्रिसमस में बल्कि बच्चों के जन्मदिन , बाल दिवस और बच्चों के रिजल्ट के दूसरे दिन भी उनके तकिया के नीचे उपहार रख देती थी । बच्चों की खुशी देखकर मेरा मन आनंदित होता था । मैंने कभी नहीं सोचा था कि पापा के जाने के बाद भी कोई सैंटा आएगा और मेरा पसंदीदा उपहार चुपके से मेरे तकिया के नीचे छुपा जाएगा । उस दिन भी मेरा जन्मदिन था । मैं अलार्म के आवाज से जगी लेकिन थोड़ी देर और सोना चाहती थी इसलिए अलार्म बंद करने के लिए हाथ से मोबाइल टटोल रही थी तो एक पैकेट हाथ में लगा और म्यूजिक शुरू हो गया हैप्पी बर्थडे टू यू । फिर मैंने लाइट आन किया देखा बहुत खुबसूरत म्यूजिकल कार्ड था । तभी मोबाइल बजने लगा अरूणांचल से श्रीमान जी का फोन था उनसे बात करते करते मैंने फ्रीज खोला दूध निकालने के लिए तो वहां भी एक गिफ्ट मिला उसे खोला नहीं क्योंकि जल्दी जल्दी नाश्ता बनाना था तीनों बच्चों का लंच भी पैक कर के देना था इसलिए उन्हें भी बाय बोल कर फोन रख दिया । गैस पर चाय का पानी चढ़ा कर अदरक कूटी फिर शक्कर का डब्बा खोला उसमें भी एक गिफ्ट मिला उसके बाद चायपत्ती के डब्बे में भी तब तक तीनों बच्चें जग गये थे । सभी को थैंक्स बोला और आलू प्याज निकालने के लिए बास्केट में हाथ डाला वहां भी गिफ्ट इस तरह हर जगह मुझे छोटा-मोटा गिफ्ट मिलता रहा फिर जल्दी जल्दी नाश्ता और लंच बनाकर बच्चों को स्कूल भेज दिया फिर फुर्सत से एक कप और चाय बनाई पीकर । नहा धोकर पूजा करने गई तो वहां भी एक गिफ्ट । पूजा के बाद मैंने सारे गिफ्ट बेड पर रखकर कैमरा से फोटो लिया था । यह बात 2008 की है तब मैं बच्चों के साथ दिल्ली राजपुताना राइफल्स सेंटर में रहती थी और सुबेदार मेज़र साहब दुश्मन देश के सीमा अरूणांचल में तैनात थे । बच्चों के लिए अगाध प्रेम महसूस हुआ । इतने बड़े हुए नहीं थे जैसा दिखा रहें थे । बड़ी बेटी 8th में , बेटा 7th में और छोटी बेटी 4th में । इतने कम उम्र में इस तरह सरप्राइज देने का सुपर आईडिया किसका था यह जानने की उत्सुकता मुझे बेसब्र कर रही थी । दो चार दोस्तों और रिश्तेदारों से शुभकामनाएं लेकर मैं खाना बनाने में मशगूल हो गयी । बच्चें स्कूल से लौटें तब डाइनिंग टेबल पर खाना के दौरान हुई गपशप में पता चला कि सुपर डुपर आईडिया इशू का था और गिफ्ट खरीदने से लेकर छुपा छुपा कर रखने का आईडिया बड़ी बेटी का था । बेटा राजा तो केक और सरप्राइज पार्टी की जिम्मेदारी ली थी । मुझे यह सब देखकर जितनी खुशी हुई उतना ही रोना भी आया । मैंने उन्हें फोन करके बताया बच्चों की करसतानी ।वो भी बहुत खुश हुएं । उन्होंने कहा यही दुनिया की रीत है । तुमने अपने बच्चों में जो अपना प्यार बांटा है वही सब तुम्हें वापस मिल रहा है । खुश रहो और बच्चों के साथ जन्मदिन मनाओ । 

शाम हुई तो साइकिल पर सवार होकर तीनों बच्चें बेकरी के लिए निकलें । मैंने भी बच्चों की खुशी में शामिल होने के लिए अपनी सबसे कीमती साड़ी पहनकर सलीके से तैयार हुई । केक काटी और अपने पापा को याद करने बैठ गई । 

मां बाप तो हमेशा से अपने बच्चों के लिए ईश्वर स्वरुप होते हैं लेकिन मेरे तो बच्चें भी मेरे लिए ईश्वर स्वरुप हैं । मेरे लिए लाएं गये छोटे बड़े तमाम गिफ्ट पैकेट खोल कर देखा गया तो चुन चुन कर सभी सामान मेरे पसंदीदा निकला बेइंतहा खुशी हुई और आंखों से भी छलक गया । 

मैंने एक नोट लिखा था - "मैं दुनिया की सबसे खुशनसीब मां हूं जिसके लिए तीन तीन सैंटा क्लॉज गिफ्ट लेकर आया था । " सचमुच मैं सबसे खुशनसीब बेटी थी अपने पापा की और आज सबसे खुशनसीब मां हूं अपने तीनों बच्चों की । मुझे तो दोनों जहां का प्यार हासिल हो गया । अब तो मेरे दामाद जी भी मेरे लिए मेरे पसंदीदा उपहार लाते हैं । मेरी नातिन पंखुड़ी मेरे लिए सबसे बड़ी उपहार है जिसने हम सभी के जीवन में एक अलौकिक आनंद भर दिया है । सबसे सुंदर सबसे प्यारा संसार हमारा परिवार हमारा ।


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