मजदूर
मजदूर
मैं उन सभी को देखता हूं
उनके ठहराव को
जो काम चुकने के करीब थे और
शाम उनके करीब
वे आतुर व्याकुल थे
उनमें साहस और उत्साह था
कर्म के फल का
उनके हाथों में बचपन से
अभी तक तो केवल
कलम की जगह झाड़ू
जो उनका हथियार था
और मेरा कलम
हम दोनों में समक्लिकता थी समानता थी
हमारा काम भी एक ही थे
एक मानसिक श्रम तो दूसरा शारीरिक
मैं भी हूं सूखा वो भी
मुझे सफलता मिली
उन्हें भी सुबह के बाद
शाम की कविता हो या
सफलता काफी हद तक मिलती है!