बचपना
बचपना
वे रास्ते मुझे याद है
जहां से बचपन में
मैं गुजरता था
मैं कैसे भूल सकता हूं
उन लम्हों को
जहां से
खेल कर
मैं इतना बड़ा हुआ
मुश्किल होता है
खुशी भी होती है
जब बचपन के
ओ लमहे
ओ शरारती पल
याद आते हैं
दिल झूम उठता है
मानो ऐसे
जैसे
दुनिया की
सारी खुशियां
मेरे पास हो
क्योंकि
बचपना
ऐसा ही होता है
हमें कुछ भी
पता नहीं होता है
जब हम
सब कुछ जानने समझने
लगते हैं
तो फिर
बचपना
और ओ खुशियां
सब
खो सी जाती है
ऐसा प्यारा सा
होता है
हमारा, आपका, सबका
बचपना...!